Chaitra Navratri: भरत में बढ़े धूम धाम से मनाए जाने वाले त्योहारों में से एक नवरात्रि का विशेष महत्व है। भगवत पुराण के मुताबिक साल में चार नवरात्रि होती है, दो गुप्त नवरात्रि और दो सार्वजनिक रूप से मनाई जाती है। अभी चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) आने वाली है। सनातन धर्म में चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। चैत्र नवरात्रि को रामनवरात्रि भी कहते है। रामनवरात्री की लेकर हमारे पुराणों में एक कथा आती है, जिसके अनुसार अनुसार जब भगवान राम लंका जा रहे थे तो उन्होने रास्ते में समुद्र तट के किनारे मां दुर्गा की उपासना की फिर लंका की चढ़ाई की थी। नवरात्रि के नौ दिन माता दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की आराधना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। ब्रह्म पुराण में भी एक कथा वर्णित है जिसके अनुसार स्वयं ब्रह्मा जी ने बृहस्पति को चैत्र नवरात्रि का महत्व समझाया था।
चैत्र नवरात्रि 2022 तारीख़, शुभ मुहूर्त
इस बार चैत्र की नवरात्रि (Chaitra Navratri) 2 अप्रैल दिन शनिवार से आरंभ होने वाली है। जो कि 11 अप्रैल दिन सोमवार को समाप्त हो जाएगी। कलश की स्थापना चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि होगी। कलश स्थापना और शुभ मुहूर्त- 2 अप्रैल सुबह 06:10 बजे से शुरू होकर 08:29 बजे तक मुहूर्त कुल अवधि- 2 घंटे 18 मिनट ।
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कलश स्थापना विधि
कलश स्थापना के लिए स्नान आदि करके साफ और स्वच्छ कपड़े पहन का तैयार हो जाए। अपने मंदिर की साफ-सफाई कर लें और सफेद या लाल कपड़ा बिछा ले।कपड़े के ऊपर थोड़े से चावल रखें।अब एक मिट्टी के किसी बर्तन में जौ को बो दें। इस मिट्टी के पात्र के ऊपर जल से भरे कलश को स्थापित करें। कलश पर स्वास्तिक बनाकर कलश पर कलावा बांध दे। कलश में साबुत सुपारी, सिक्का और अक्षत डालकर उस पर अशोक के पत्ते रखें। फिर एक नारियल लें ले और उस पर चुनरी लपेटकर उसे कलावा से बांधें दे। इस नारियल को कलश पर रखे और मां दुर्गा का आवाहन करें। फिर दीप जलाकर कलश की पूजा करें। नवरात्रि (Chaitra Navratri) में मां दुर्गा की पूजा के लिए सोना, चांदी, तांबा, पीतल या मिट्टी का कलश स्थापित किया जा सकता है।
होली हो जाने ने बाद चैत्र की नवरात्रि (Chaitra Navratri) आती है। नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के नौ अलग अलग स्वरूपों मां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, मां महागौरी और मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है।