अगर हम इतिहास के पन्नों को खोल कर देखें तो देश के प्रति अपार प्रेम का जज्बा दिखाने में, पुरुष के साथ-साथ महिला भी बढ़-चढ़कर देशभक्ति व देशप्रेम के प्रति भाग लेती आई है। जहां “भगत सिंह” जी देश प्रेम के लिए फांसी के फंदे पर चढ़ गए ऐसे ही महिलाओं में एक वीरांगना “रानी लक्ष्मीबाई” जी थी जो देश प्रेम के लिए लहूलुहान होते हुए भी आखरी सांस तक मैदान में टिकी रही। ऐसे ही 1986 में पेन एम विमान सेवा की एक उड़ान में आतंकियों से यात्रियों की रक्षा करने के लिए “नीरजा भनोट”ने देशवासियों के लिए अपनी जान न्यौछावर कर दी, आज हमारा देश जितना पुरुष प्रधान है उतना ही महिला प्रधान भी होता जा रहा है
आज हमारे देश की मानसिकता में इतना उछाल आ गया है कि आज हमारा समाज लड़कों के साथ- साथ लड़कियों के भी आगे बढ़ने में भी हमारा समाज बढ़-चढ़कर साथ देता नजर आ रहा है। आज हमारा समाज ऐसे ही साहस व पराक्रम से भरी राजस्थान के झुंझुनू जिले से एक छोटे गांव से संबंध रखने वाली बिटिया किरण शेखावत जी के जज्बे हौसले पराक्रम व साहस को आज हमारा पूरा भारत देश सलाम कर रहा है।
साहस और पराक्रम की पहचान बनी किरण शेखावत
राजस्थान के झुंझुनू जिले से एक छोटे से गांव में रहने वाली किरण शेखावत का जन्म 1998 में हुआ था किरण शेखावत के पिताजी नौ सेना में लेफ्टिनेंट थे, बचपन से ही किरण शेखावत सैन्य माहौल में पली-बढ़ी थी। किरण शेखावत बचपन से ही होनहार थी। व यह कुछ नया सीखने व करने के लिए हमेशा ही उत्साहित रहा करती थी। कुछ समय बैंक में नौकरी करने के बाद किरण शेखावत जी का 2010 में भारतीय नौसेना में सिलेक्शन हो गया, इनकी पहली सलेक्शन केरल के भारतीय नौसेना अकादमी एझीमाला में हुई। किरण जी ने 5 जुलाई 2010 को इंडियन नेवल एयर स्क्वाड्रन ज्वाइन किया था। इस स्क्वाड्रन को कोब्राज के नाम से भी से जाना जाता है।
किरण जी अपने 5 साल के छोटे करियर में देश के कई नेवल स्टेशनों पर पोस्टेड रही, इनकी अंतिम पोस्टिंग गोवा में हुई थी।
किरण शेखावत जी के अगर निजी जीवन के बारे में बात करें, तो हरियाणा से ताल्लुक रखने वाले नौसैनिक विवेक सिंह जी को इन्होंने अपने जीवनसाथी के रूप में चुना था। किरण जी की जिंदगी खुशहाल चल रही थी पर 24 मार्च 2015 को किरण शेखावत जी रोज की तरह उड़ान भरने के लिए डॉर्नियर विमान में सवार हुई। पर दुर्भाग्यवश किरण शेखावत जी का उसी रात प्लेन क्रैश हो गया। और इस क्रैश में किरण शेखावत जी देश की पहली महिला शहीद हो गई। शहीद होने के 2 दिन तक किरण शेखावत जी के शव का कहीं पता नहीं चल पा रहा था। कड़ी मेहनत के बाद 26 तारीख को किरण शेखावत जी के मृत शरीर को ढूंढ कर हरियाणा के कुरथला गांव में लाया गया। जहां गांव के साथ-साथ पूरा देश नम आंखों से किरण शेखावत जी को श्रद्धांजलि देते हुए गर्व से सीना चौड़ा कर किरण शेखावत जी के पराक्रम साहस को आज पूरा देश सलाम कर रहा है। आज किरण शेखावत जी को देश की पहली महिला शहीद के रूप में जाना जाता है। देश प्रेम के प्रति बेटियों का कुछ कर गुजर जाने के जज्बे को यह पूरा समाज और देश सलाम करता है।
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