एग्जाम का स्ट्रेस क्या होता है. इसके बारे में ज्यादा विस्तार से वह बता सकता है. जो एग्जाम दे चुका हो या एग्जाम देने की तैयारी कर रहा हो. आमतौर पर एग्जाम से पहले ज्यादातर बच्चे तनाव में रहते हैं. यही वजह है कि कई बार ज्यादातर बच्चों के स्ट्रेस में होने के कारण एग्जाम खराब भी हो जाता है, लेकिन आप यकीन मानिए एक ऐसा लड़का है. जो एग्जाम वाले दिन एग्जाम सेंटर पर ही सो गया था लेकिन अब उसने परीक्षा में टॉप कर दिया है और इस लड़के को JEE की परीक्षा में 99.99 फ़ीसदी अंक हासिल हुए हैं. जी हां, हम बात कर रहे हैं पश्चिम बंगाल JEE के टॉपर आशुतोष अग्रवाल के बारे में.
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एग्जाम सेंटर पर सो गए थे आशुतोष
जेईई मेंस सैशन वन में टॉप करने वाले आशुतोष अग्रवाल ने बताया कि वह एग्जाम वाले दिन एग्जाम सेंटर पर सो गए थे. जब उनसे इसकी वजह पूछी गई तो उन्होंने बताया कि वह एग्जाम सेंटर पर करीब 45 मिनट पहले पहुंच गए थे. वह एग्जाम से पहले कुछ स्ट्रेस नहीं लेना चाहते थे. यही वजह है उन्होंने एग्जाम सेंटर पर ही 15 से 20 मिनट की छोटी सी झपकी ली थी.
जिसकी वजह से उन्हें काफी रिलीफ मिला और उन्होंने एग्जाम से कुछ समय पहले सभी टॉपिक्स को रिवाइज किया और एग्जाम दिया. उनका एग्जाम काफी अच्छा हुआ और अब रिजल्ट भी उनके अनुकूल ही आया है. 18 वर्ष के आशुतोष कहते हैं कि उन्होंने अपने दिमाग को सेंटर में बनाए रखने के लिए एग्जाम हॉल के पास ही नींद ली थी.
पढ़ाई के बीच छोटे-छोटे नैप लेने की देते हैं सलाह
आशुतोष अग्रवाल कहते हैं कि जब वह इस परीक्षा की तैयारी कर रहे थे. उस दौरान भी वह इसी तरीके से पढ़ाई करते थे. 2 घंटे पढ़ाई करने के बाद उन्हें 15 से 20 मिनट की झपकी की जरूरत होती थी. यह कहते हैं 15 – 20 मिनट की झपकी लेने से हमारा माइंड फिर से तरोताजा हो जाता है और एक बार फिर से हम उसी एनर्जी के साथ पढ़ाई पर फोकस कर पाते हैं. यह कहते हैं मैं इसी रूल के हिसाब से पढ़ाई लिखाई करता था. ना सिर्फ पढ़ाई लिखाई करता बल्कि में क्रिकेट और बैडमिंटन खेलने का भी शौकीन हूं और पढ़ाई से टाइम निकालकर में खेलों में भी पर्याप्त टाइम देता था.
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