आईआईटी क्रैक करने के बाद हर किसी का सपना एक अच्छे इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ने का होता है. इस परीक्षा को देने के लिए लाखों अभ्यर्थी बैठते हैं, लेकिन आईआईटी की परीक्षा को बहुत कम लोग ही पास कर पाते हैं. पटना की रहने वाली निभा शर्मा उन लोगों में से एक हैं. जिन्होंने आईआईटियन बनने का सपना देखा था और इस परीक्षा को भी दिया भी था, लेकिन वह महज 8 अंकों से इस परीक्षा में क्वालीफाई नहीं कर पाई. जिसके बाद वह कुछ ऐसा कर रही है. जो हर किसी के लिए प्रेरणा स्रोत है.
90 छात्रोंं को पढ़ाती हैं निभा शर्मा
निभा वर्तमान समय में ऐसे 90 छात्रों को शिक्षा देती हैं जो आईआईटी या नीट की तैयारी कर रहे हैं. इंजीनियर और डॉक्टर बनने की ख्वाहिश रखने वाले छात्रों को पढ़ाने का फैसला इन्होंने जेईई-मेन में असफल होने के बाद लिया था. जेईई मेंस इन्होंने क्रैक तो कर लिया था लेकिन कट ऑफ की वजह से यह 8 अंकों से रह गई थी जिसके बाद उन्हें काफी निराशा हुई. हालांकि, उन्होंने हार नहीं मानी घरवाले चाहते थे कि बेटी एक बार फिर मेहनत करे लेकिन उन्होंने मेहनत नहीं की और लोगों को कोचिंग देना शुरू कर दिया. 24 साल की हो चुकी निभा शर्मा ने बातचीत में बताया वह 8 से 10 घंटे बिताती हैं.
जेईई मेन्स में असफल होने के बाद शुरू किया ये काम
उनके द्वारा पढ़ाई गए बच्चों का प्रवेश नीट और जेईई-मेन में हो सके. इसके लिए वह तत्पर रहती हैं. निभा कहती हैं लड़कियों को गांव के परिदृश्य से निकालना बहुत मुश्किल होता है. मेरे घर की आर्थिक स्थिति ठीक थी तो मैं यहां तक पढ़ पाई लेकिन बहुत सारे ऐसे लोग हैं. जिनके आर्थिक हालात ठीक नहीं है. मैं उन सब की मदद करती हूं. साथ ही आपको बताते चलें निभा ने बीएससी और एमएससी की पढ़ाई की है. इस दौरान वह गोल्ड मेडल विजेता भी रही थी और आगे चलकर पीएचडी करना चाहती हैं. यह कहती हैं जो काम वह अब कर रही हैं. इससे उन्हें संतुष्टि नहीं मिलती. निभा शर्मा 90 छात्रों को ऑफलाइन पढ़ाती हैं तो कई छात्रों को यह ऑनलाइन पढ़ाती हैं.
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