Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य तक्षशिला विश्वविद्यालय में शिक्षक थे। बड़े लंबे समय तक वे इसी विश्वविद्यालय में वे शिक्षक पद पर आसीन थे। अपने जीवन काल में कई सारे छात्रों का मार्गदर्शन किया। उन्होंने कई ऐसी रचनाएं कीं है, जिसमें छात्र जीवन से जुड़ी तमाम बातों के अलावा, मानवीय मूल्यों, सफलता, आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक आदि कई सारे विषयों पर बताया गया है। कहते है, व्यक्ति के जीवन का सबसे अनमोल समय वो होता है, जब वो विद्यार्थी होता है।
विद्यार्थी को अपने समय का सही तरीके से इस्तेमाल करना चाहिए। यही एक विधार्थी के लिए सफलता की कुंजी भी है। यही वो समय होता है जब स्टूडेंट अपना भविष्य बना और बिगाड़ सकता है। विद्यार्थी को अपना लक्ष्य निर्धारित कर लेना चाहिए,और उस लक्ष्य को पाने की लिए कढ़ी मेहनत भी करना चाहिए। जो स्टूडेंट अपने लक्ष्य को ध्यान में रखकर मेहनत करते है वही सफल हो जाते है। विधार्थियो को सफल जीवन के लिए चाणक्य की इन बातों पर ध्यान रखना चाहिए I
विद्यार्थियों को हमेशा समय का पाबंद रहना चाहिए
विद्यार्थियों के लिए सबसे अनमोल अगर कुछ होता है, तो वो है, उनका वक्त। स्टूडेंट्स के लिए समय बहुत अनमोल होता है। इसलिए स्टूडेंट्स को अपना कीमती समय कभी व्यर्थ नहीं करना चाहिए। हर एक मिनट विद्यार्थी के लिए कीमती होता है। जब विधार्थी अपने लक्ष्य का निर्धारण कर ले तो बिना समय व्यर्थ किए उस लक्ष्य को पूरा करने के लिए प्रयत्न करते रहना चाहिए। अपना ध्यान पढ़ाई पर लगाना चाहिए। समय पर सभी कार्यों को पूर्ण करना चाहिए। जो लोग ऐसा नहीं कर पाते हैं, उन्हें सफल होने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ता है।
अनुशासन का पालन करें
विद्यार्थी के लिए अनुशासन का पालन करना बहुत महत्वपूर्ण है। सफलता हासिल करने का सबसे पहला नियम है, अनुशासन। व्यक्ति अगर अनुशासित जीवन जीता है तो वो जो चाहे वो कर सकता है। जो लोग अनुशासनहीन जीवन जीते है, वो लोग अपने जीवन में कभी भी सफलता प्राप्त नहीं कर पाते। अनुशासित व्यक्ति ही अपने सभी काम समय से पूर्ण कर पता है।
बुरी संगत से दूर रहें
एक विद्यार्थी व्यसनों और बुरी संगति से हमेशा दूर रहना चाहिए। ये एक ऐसी उम्र होती जब विधार्थी अच्छे और बुरे ने भेद नहीं कर पाते, और उनमे उत्सुकता की भावना बहुत ज्यादा होती है। बुरी आदतें व्यसन उन्हें अपनी ओर आकर्षित करते है। इसलिए विद्यार्थियों को किसी भी प्रकार की बुरी संगत और नशे से दूर रहना चाहिए। ये सारी चीजें विद्यार्थियों की लक्ष्य और सफलता में बाधा उत्पन्न करती है।
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अतिनिद्रा का त्याग करें
आचार्य चाणक्य का मानना था कि एक विद्यार्थी को 8 घंटे से ज्यादा नींद नहीं लेनी चाहिए। और एक विद्यार्थी की नीद कुत्ते की तरह होने चाहिए। ज्यादा आलस और ज्यादा नींद विद्यार्थी जीवन के लिए हानिकारक होती है।
बढ़ो का सम्मान करना चाहिए
एक विधार्थी को अपने गुरु, टीचर्स और अपने माता पिता का हमेशा सम्मान करना चाहिए। कहते है, भगवान से भी ऊपर माता पिता और गुरु होते है। इसलिए कभी भी अपने गुरू और माता पिता का अपमान न करें।