पंजाब और हरियाणा हमारे देश भारत का ऐसा राज्य है, जो कृषि उत्पादन के लिए काफी मशहूर है. आपको बता दें कि पंजाब और हरियाणा में हमारे देश में सबसे ज्यादा खेती की जाती है. यही कारण है कि जब भी कृषि उद्योग के बारे में बात होती है, तो हमारे देश के दो राज्य पंजाब और हरियाणा का नाम जरूर आता है. लेकिन कृषि उद्योग की वजह से ही इन दो राज्यों में प्रदूषण के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. प्रदूषण का मुख्य कारण यह है कि किसान फसल करने के बाद फसल के पराली या फिर यूं कहें कि फसल के बचे हुए अवशेष को जलाने लगते हैं. जिससे पूरे राज्य में काफी ज्यादा प्रदूषण होता है.

लेकिन इस प्रदूषण को कम करने के लिए हरियाणा के आईएएस ऑफीसर विक्रम यादव ने एक रास्ता खोजा, जिससे यह प्रदूषण कम हो सके. आपको बता दें कि प्रदूषण को कम करने के लिए आईएएस अधिकारी विक्रम यादव ने उन्हें अवशेषों को बेचने का सुझाव दिया.किसानों को बताया कि वह बचे हुए अवशेषों को बेचकर भी अच्छे खासे पैसे कमा सकते हैं.
मीडिया से बात करते हुए आईएएस अधिकारी विक्रम यादव कहते हैं कि, “किसान कटाई का मौसम समाप्त होने के बाद गेहूं और धान के अवशेषों को जलाते हैं. यह किसानों के लिए अपरिहार्य है, क्योंकि उन्हें अगले सीजन के लिए फसल बोने के लिए जमीन को साफ करने और तैयार करने की जरूरत है, जो कि रबी है. मौसमों के बीच कम अंतराल के कारण पराली जलाना पसंद किया जा रहा है. किसी भी अन्य उपलब्ध विकल्प को उसी काम के लिए 20 से 30 दिनों का समय लग सकता है, जो वे पराली जलाकर करते हैं”.

आपको बताते चलें कि इससे पहले पराली जलाने की संख्या 700 से अधिक थी. लेकिन विक्रम यादव ने धीरे-धीरे प्रयास करके इस संख्या को 80% कम कर दिया है. अब पूरे राज्य में केवल 146 ही बचे हैं. लेकिन आईएएस अधिकारी विक्रम यादव का कहना है कि वह इस संख्या को शुन्य कर के दम लेंगे.
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