Holi Kab Hai: बस कुछ ही दिनो की बात है,हिंदुओं का मुख्य और फेवरेट त्यौहार होली बस आने ही वाली है। रंग बिरंगे रंगो का त्यौहार होली के दिन लोग एक दूसरे को रंग लगाते हैं। दिवाली की तरह होली भी कई दिनों का त्योहार होता है। पहले दिन यानी छोटी होली को होली जलाई जाती है। इसके दूसरे दिन होली खेली जाती है। इसके तीसरे दिन होता है, भाई दूज। जिस दिन सारी बहने अपने भाई का तिलक करती है। आज हम होलिका दहन का शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि के बारे में बात करते वाले है।
होलिका दहन (Holi) को छोटी होली के नाम से जानते है। लोग इस दिन होलिका की परिक्रमा और पूजा-अर्चना कर उसे आग में भस्म कर देते हैं। इसके दूसरे दिन होली खेली जाती है। होली के दिन लोग गुलाल व पानी के रंगों से एक दूसरे के साथ होली मनाते है। एक दूसरे को रंग लगाते है। होली के 8 दिन पहले होलाष्टक लगता है । यानी इस बार 10 मार्च से होलाष्टक लग चुका है। होलाष्टक दौरान कोई भी शुभ कार्य जैसे विवाह, मुंडन, सगाई, गृह प्रवेश आदि नहीं किया जाता। फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से होलाष्टक शुरू होता है। आइए जानते हैं होलिका दहन (Holika Dahan) का शुभ मुहूर्त और इसकी पूजा विधि के बारे में:-
होलिका दहन शुभ मुहूर्त (Holika Dahan Shubh Muhurat)
- होली शुक्रवार, मार्च 18
- होलिका दहन बृहस्पतिवार, मार्च 17
- पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – मार्च 17, 2022 को 01:29 PM
- पूर्णिमा तिथि समाप्त – मार्च 18, 2022 को 12:47 PM
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होलिका दहन पूजा सामग्री (Holika Dahan 2022 Puja Samagri)
- एक कटोरी पानी
- गाय के गोबर से बनी माला
- रोली
- अक्षत
- अगरबत्ती और धूप
- फूल
- कच्चा सूती धागा
- हल्दी के टुकड़े
- मूंग की अखंड दाल
- बताशा
- गुलाल पाउडर
- नारियल
- नया अनाज जैसे गेहूं
होलिका दहन पूजा विधि (Holika Dahan Puja Vibhi )
ये सारी पूजा की सामग्री एक प्लेट में रख लें। पूजा थाली के साथ पानी का एक लोटा पानी भी रखें। अपने पूजा स्थल पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठ जाएं। फिर उसके बाद पूजा थाली पर और अपने आप जल छिड़कें और ‘ऊँ पुण्डरीकाक्ष: पुनातु’ मंत्र का तीन बार जाप करें।