भारत का नागरिक शास्त्र अपने जीवन में कामयाब होना चाहता है. लेकिन जीवन में कामयाब होने के लिए छात्र को केवल कड़ी मेहनत करने की जरूरत नहीं, बल्कि कड़ी मेहनत के साथ-साथ उसे अच्छी सोच और समझ की भी आवश्यकता होती है. आपको बता दें कि हमारे देश में हर व्यक्ति अपने बेटे को डॉक्टर या इंजीनियर बनाना चाहते हैं. लोगों का ऐसा मानना है कि डॉक्टर या इंजीनियर बनने के बाद उनके बेटे लाखों रुपए कमा सकते हैं. लेकिन आपको बता दें कि इंजीनियर या डॉक्टर वही छात्र बन पाता है, जिसके अंदर इंजीनियर या डॉक्टर बनने की चाहत होती है. इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने में लाखों रुपए खर्च होते हैं.
आपको बता दें कि इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला पाना आसान नहीं होता. यही कारण है कि जिनके पास पैसे होते हैं वह अपने बेटे को प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला करवा देते हैं. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताएंगे, जिन्होंने अपने बेटे को एनआईटी हमीरपुर में दाखिला दिलवाया. हम बात कर रहे हैं हिमाचल प्रदेश के रहने वाले संजय कुमार गुप्ता की. संजय कुमार गुप्ता एक कारोबारी व्यक्ति हैं. वह एक समय में अपने बेटे आलोक गुप्ता को भी अपना कारोबार संभालने के लिए देना चाहते थे, लेकिन आलोक बचपन से ही इंजीनियर बनना चाहते थे.
संजय कुमार गुप्ता के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह अपने बेटे को प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला करवा सकें. लेकिन आलोक गुप्ता शुरू से ही पढ़ने में अच्छे थे. यही कारण है कि उन्होंने जेईई मेंस की परीक्षा पास करके एनआईटी हमीरपुर में एडमिशन ले लिया. उन्होंने बीते की पढ़ाई कंप्यूटर साइंस में पूरे के आज वह अपने परिवार के लिए दोहरी खुशी का कारण बन गए हैं. मालूम हो कि आलोक को कैंपस प्लेसमेंट में एक अच्छी जॉब मिल गई है. तो वहीं एनआईटी हमीरपुर ने उन्हें कांस्य पदक से भी नवाजा है.
आपको बताते चलें कि एनआईटी हमीरपुर में लगभग 160 कंपनियां जॉब ऑफर लेकर छात्रों के पास आए. जिसमें एक बहुत बड़े एमएनसी कंपनी में आलोक गुप्ता का चयन हो गया. आलोक गुप्ता के पूरे परिवार वालों के बीच खुशी का माहौल बना हुआ है. लेकिन उनकी खुशी दोगुनी तब हो गई, जब आलोक गुप्ता को एनआईटी हमीरपुर की तरफ से कांस्य पदक से नवाजा गया.
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