जीवन में सफल होने के लिए शिक्षा बहुत बड़ी भूमिका निभाती है. हालांकि शिक्षा पाने के लिए आर्थिक रूप से मजबूत होना पड़ता है. लेकिन ऐसा कई बार देखा जा चुका है कि, पैसे की कमी होने के बावजूद हमारे देश के छात्रों ने कुछ ऐसा कर दिखाया है. जो अपने आप में एक बड़ी बात है आज हम ऐसे ही आपको हरियाणा के एक छात्र अशोक कुमार के बारे में बताएंगे, जिनका चयन भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर में हुआ है. भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर का नाम सुनकर आप समझ गए होंगे कि, अशोक कुमार ने अपने जीवन में कितनी बड़ी उपलब्धि हासिल की है.

अशोक कुमार की निजी जिंदगी के बारे में बात करें तो, वह भारत के राज्य हरियाणा के हिसार जिले के रहने वाले हैं. अशोक कुमार ने अपनी प्राथमिक पढ़ाई हरियाणा में ही पूरी कि, वह बचपन से ही न्यूक्लियर साइंटिस्ट बनना चाहते थे. लेकिन पैसों की कमी होने की वजह से वह अच्छे कॉलेज में पढ़ाई नहीं कर पाए. आपको बता दें कि अशोक कुमार के पिता एक आटा चक्की चलाते हैं. आटा चक्की के बारे में हम सब जानते हैं कि, इससे कुछ पास पैसे नहीं कमाए जा सकते.
जो पढ़ाई के लिए अशोक कुमार के पास पैसों की कमी थी. तब उनका साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक स्कीम ने दिया. प्रधानमंत्री द्वारा चलाया गया कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी स्कीम के तहत अशोक कुमार ने अपने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की. आपको बता दें कि इस स्कीम के बदौलत उन्होंने अपने जीवन में यह उपलब्धि हासिल की है. भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर के लिए सबसे पहले अशोक कुमार ने परीक्षा दिया. परीक्षा का परिणाम सामने आने के बाद इंटरव्यू हुआ.

जैसे ही भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर में चयनित छात्रों का सूची जारी हुआ, उसमें अशोक कुमार का नाम दूसरे स्थान पर था. अपना नाम दूसरे स्थान पर देखकर अशोक कुमार काफी खुश हुए. यही नहीं बल्कि अशोक कुमार के परिवार वाले एवं उनके गांव वाले भी काफी खुश हैं. आपको बताते चलें कि भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर के लिए पूरे भारत में केवल 30 छात्रों का चयन हुआ है. जिसमें अशोक कुमार का नाम भी शामिल है.
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