मैट्रिक की परीक्षा हमारे देश में एक ऐसी परीक्षा मानी जाती है, जिसे हर कोई एक पास कर लेता है. मैट्रिक का परीक्षा एक ऐसा परीक्षा होता है, जहां तक हमारे देश के लगभग सभी लोग पढ़े लिखे होते हैं. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि हमारे देश में एक ऐसा भी गांव है, जहां आज तक किसी ने मैट्रिक की परीक्षा भी पास नहीं की है. जी हां यह बात सुनने में काफी अजीब लग सकती है. लेकिन यह सच है. हमारे देश में एक ऐसा गांव है जहां शिक्षा का अभाव इतना ज्यादा है कि, आज के जमाने में भी वहां किसी ने मैट्रिक तक की पढ़ाई पूरी नहीं की है.
आज हम आपको जिस गांव के बारे में बताने वाले हैं, उस गांव का नाम दुबे टोली है. दुबे टोली भारत के राज्य बिहार में एक गांव है. गांव के नाम के विपरीत इस गांव में महादलित समुदाय की संख्या काफी ज्यादा है. इस गांव के लोगों के बारे में बात करें तो इस गांव में लगभग 250 घर है. जहां 1000 लोग रहते हैं. इन 1000 लोगों में से 900 लोग ऐसे हैं, जो महादलित समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. लगभग 100 लोग ही हैं जो शर्मा या फिर यादव हैं. इस गांव में शिक्षा का अभाव इतना ज्यादा है कि, साल 2022 के जमाने में भी इस गांव में आज तक किसी ने मैट्रिक तक की पढ़ाई भी पूरी नहीं की है.
यह गांव अचानक से खबरों में तब आ गया, जब इस गांव की एक लड़की ने मैट्रिक की पढ़ाई पूरी कर ली. हम जिस लड़की के बारे में बात कर रहे हैं उससे लड़की का नाम इंदिरा है. इंदिरा ने मैट्रिक तक की पढ़ाई पूरी कर ली है. जैसे ही इंदिरा ने मैट्रिक की परीक्षा पास की उसके बाद से इंदिरा एवं उसका गांव खबरों में आ गया. लोग इस गांव के बारे में बात करने लगे.
आपको बताते चलें कि बिहार के दुबे टोली गांव में मुसहर की आबादी सबसे ज्यादा है. आज भी हमारे देश में मुसहर समुदाय के लोग शिक्षा से काफी दूर है. ऐसा माना जाता है कि इस समुदाय में शिक्षा की काफी कमी है. हालांकि भारत सरकार ने विभिन्न महादलित समुदाय के लिए शिक्षा के कई योजनाओं को शुरू किया है. लेकिन इसके बावजूद भी इस समुदाय में पढ़े लिखे लोगों की कमी काफी ज्यादा है.
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