दिन रात की गई मेहनत और लगन सफलता के रास्ते पर लेकर जाती है. वाकई यह लाइन सही भी साबित होती है. इन लाइनों को समय-समय पर ऐसा कारनामा करने वाले लोग चरितार्थ करते हैं. आज के इस पोस्ट में हम आपको एक ऐसे लड़के की कहानी से रुबरु कराने वाले हैं. जिसकी मां बकरी चराती हैं और पिता का साल 2008 में ही निधन हो गया था. बेटा हमेशा से ही कुछ करने की चाहत रखता था और हाल ही में साल 2021 में यूपीएससी में परिणाम जारी किया है. इस परीक्षा में बेटे ने 484 वां रैंक हासिल करके अपनी मेहनत का हर किसी को परिचय दिया है. हर कोई इनके इस संघर्ष की स्टोरी से प्रेरणा ले रहा है तो चलिए जानते हैं ऐसा ही कारनामा करने वाले विशाल कुमार (Vishal Kumar) के बारे में.
यह भी पढ़े-पीसीएस अधिकारी रहने के दौरान किया घोटाला उजागर, लगी थी 7 गोलियां, अब पास की UPSC
बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं विशाल
यूपीएससी की परीक्षा में सफलता का झंडा बुलंद करने वाले विशाल कुमार बहुत सामान्य परिवार से संबंध रखते हैं. इनके घर की आर्थिक परिस्थितियों का अंदाजा आप इस बात से समझ सकते हैं. इनकी मां बकरी चराने का काम करती है और घर को संभालने का भार भी इनकी मां के कंधों पर ही है. उनके मुताबिक इनके पिता का साल 2008 में निधन हो गया था. इसके बाद विशाल कुमार के परिवार के आर्थिक हालात बहुत खराब हो गए थे, आलम यह था कि उनको पढ़ाने लिखाने के लिए माता जी को दिन रात मेहनत करनी पडती थी. मां भैंस और बकरी चरा कर बच्चे की पढ़ाई के लिए फीस उपलब्ध करवापाती थी. उनका बेटा भी इसमें सहयोग करता था.
पास की यूपीएससी परीक्षा
भले ही विशाल कुमार की स्थितियां-परिस्थितियां जैसी भी रही हो, लेकिन आज उन्होंने अपनी मेहनत का सिक्का मनवा दिया है. इन्होंने साल 2021 के यूपीएससी परिणाम में 484 वी रैंक हासिल की है. बिहार के मुजफ्फरपुर से ताल्लुक रखने वाले विशाल ने जब से संघ सेवा आयोग की परीक्षा में 484 वां रैंक हासिल किया है. तब हर कोई उन्हें बधाई दे रहा है और उनके घर पर बधाई देने वालों का जबरदस्त जमावड़ा लगा हुआ है. कुछ लोग इन्हें परीक्षा में पास होने पर बधाई दे रहे हैं तो जो लोग पढ़ रहे हैं.
वह उनसे प्रेरणा लेकर जीवन में कुछ बड़ा करने की सीख ले रहे हैं. जब विशाल कुमार से उनकी सफलता के बारे में पूछा गया तो यह अपनी सफलता का श्रेय अपनी मां और अपनी शिक्षकों को देते हैं. यह कहते हैं कि उनकी मां की वजह से ही यह सब संभव हो पाया है. वहीं कई बार फीस में योगदान देने का काम उनके टीचर ने किया था. जिनका नाम गौरीशंकर प्रसाद है. विशाल के मुताबिक गौरी शंकर प्रसाद ही उनकी आर्थिक मदद किया करते थे. अब वह सफल हो चुके हैं तो आगे चलकर अपने अध्यापक की भी वह किसी न किसी तरीके से जरुर मदद करेंगे.
यह भी पढ़े-मां बेटी ने की थी छोटे से कमरे से बिजनेस की शुरुआत, आज टर्न ओवर करोड़ों में है
Discussion about this post