यूपीएससी की परीक्षा एक ऐसी परीक्षा है, जहाँ सफल होने के बाद छात्र इतिहास रच देते हैं. यूपीएससी की परीक्षा को पास करने वाले छात्र काफी होनहार होते हैं. यही नहीं बल्कि हमारे देश भारत में ऐसा माना जाता है कि यूपीएससी की परीक्षा को पास करने के लिए एक अलग प्रकार का जुनून होना चाहिए. यूपीएससी की परीक्षा को भारत का सबसे कठिन परीक्षा माना जाता है. यही कारण है कि जो भी छात्र इस परीक्षा में सफलता हासिल कर लेते हैं, उस छात्र के परिवार वाले ही नहीं बल्कि पूरे समाज सराहना करता है. ऐसे ही आज हम आपको एक छात्र के बारे में बताएंगे, जिन्होंने अपने टीचर की बात दिल पर लेने के बाद यूपीएससी जैसे कठिन परीक्षा को पास कर लिया.

हम जिस छात्र के बारे में बात कर रही हैं उस छात्र का नाम किशोर कुमार रजक है. किशोर कुमार रजक भारत के राज्य झारखंड के बोकारो जिलों से संबंध रखते हैं. बोकारो जिला का नाम सुनकर आप अंदाजा लगाया जा सकता है कि, यह जिला कितना पिछड़ा हुआ है. बोकारो झारखंड का एक ऐसा जिला है, जो नक्सल गतिविधियों के नाम से भी जाना जाता है. यही कारण है कि, यहाँ शिक्षा का काफी दादा अभाव है. किशोर कुमार के निजी जिंदगी के बारे में बात करें तो उनके चार भाई बहन है. परिवार ज्यादा होने की वजह से किशोर के पिता जो भी कमाई करते थे, वह अपने बच्चों के खाने पीने में ही खर्च कर देते थे.

किशोर जब बचपन में सरकारी स्कूल में पढ़ाई करने जाते थे, तभी उनके एक टीचर ने कहा था कि, अगर मजदूरी करोगे तो हमेशा मजदूर ही रहोगे. टीचर की यह बात किशोर के दिल पर लगी और उन्होंने ठान लिया कि, वह अपने जीवन में यूपीएससी की परीक्षा को पास कर लेंगे. इस साल 2008 में स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह दिल्ली में जाकर यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी करना चाहते थे. लेकिन उनके पास इतने पैसे नहीं थे. जिसके बाद उनकी बहन ने बचत से जमा किए हुए ₹4000 किशोर को दिए और दिल्ली भेज दिया. दिल्ली आने के बाद किशोर कुमार बच्चों को ट्यूशन पढ़ा कर अपना खर्च निकालते थे और बचे हुए टाइम में यूपीएससी की तैयारी करते थे.

आपको बताते चलें कि साल 2011 में उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा को पास कर लिया. इस परीक्षा में उन्हें 419वां रैंक प्राप्त हुआ. जिसके बाद वह आईपीएस या आईएएस अधिकारी तो नहीं बन पाए, लेकिन सशस्त्र सीमा बल के असिस्टेंट कमांडेट की नौकरी लग गई. जिसके बाद उन्होंने साल 2015 में एक बार फिर से यूपीएससी की परीक्षा दिया. लेकिन इस परीक्षा में वह इंटरव्यू राउंड में बाहर हो गए. जिसके बाद उन्होंने सोचा कि वह इस स्टेट सिविल सर्विस की तैयारी करने लगे. साल 2016 में उन्होंने झारखंड सिविल सर्विस की परीक्षा देकर डीएसपी बन गए.
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