सबसे पहले तो आप सभी रीडर्स को लोहड़ी (Lohri) बहुत बहुत शुभकामनाएं।
अक्सर 12 या 13 जनवरी को पड़ने वाली लोहड़ी उत्तर भारत के पंजाब में मनाए जाने वाले त्योहारों में से मुख्य त्योहार है। पंजाब और हरियाणा की बात करें तो वहां लोहड़ी (Lohri)बहुत ही धूमधाम से मनाई जाती है, और लोहड़ी आते ही फसलों की कटाई बुवाई भी शुरू हो जाती है और इसकी तयारी तो काफी दिनों पहले से ही शुरू हो जाती है। लोहड़ी (Lohri)मकर संक्रांति के एक दिन पहले मनाई जाती है, जब कि सूरज उत्तरी गोलार्थ में प्रवेश करता है ।
चलिए जानते है क्यों मनाते है लोहड़ी?
पंजाब, हरियाणा, दिल्ली जैसे राज्यों में हर्षोल्लास से मनाई जाने वाली लोहड़ी (Lohri)पर लोगों में आपस के सारे मनमुटाव दूर हो जाते है। सब लोग मिलजुल अपने दोस्तों, रिश्तेदारों, पड़ोसियों और परिवार के साथ मिलकर नाचते,गाते,
भागड़ा, गिद्दा करते हुए खुशी खुशी ये त्यौहार मनाते है।
कई ऐतिहासिक पुराणों और पुस्तकों के अनुसार माता सती ने इसी दिन हवन की अग्नि में अपने प्राण त्याग कर दिए थे।
माता सती राजा दक्ष की पुत्री तथा भगवान शिव की भार्या थी, माता सती जो माता पार्वती का ही एक रूप है उन्होंने यज्ञ में अपने प्राण त्यागे थे क्यों कि, उनके पिता दक्ष ने उनके पति अर्थात भगवान शिव का अपमान किया और यज्ञ में आमंत्रित नहीं किया था।
इसलिए लोहड़ी (Lohri)के दिन एक पश्चाताप के रूप में घर की बेटी को घर बुला के उसका सम्मान किया जाता तोहफे देकर बेटी को विदा किया जाता है।
लोहड़ी को लेकर एक और दुल्ली भट्ठी की कथा प्रसिद्ध है।
दुल्लाभट्ठी (Dulla Bhatti)पंजाब प्रांत का एक सरदार था। संदलवाल नाम की एक जगह पर लड़कियों को खरीदा बेचा जाता था, दुल्ली भट्ठी ने इसका विरोध किया और उन लड़कियों को इस दुष्कर्म से आजाद कर उनकी शादी करवाकर उनको समाज में सम्मान दिलवाया, इसलिए आज भी दुल्ली भट्टी को लोहड़ी(Lohri) के गीतों के जरिए याद किया जाता है।
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लोहड़ी का महत्व
- लोहड़ी (Lohri) के दिन लोग आग जलाकर जिसे अलाव कहते है, के चारों ओर बैठकर गीते गाते है और नाचते है।
- इस त्योहार को पूरा सिख समुदाय नववर्ष के रूप में मनाता है।
- रबी की फसल भी इसी त्योहार के समय ही काटी जाती है, और गन्ने की फसल बोई जाती है। जिससे किसानों की रोजी रोटी होती है।
- लोहड़ी पर पंजाब और हरियाणा के लोग वहां का पारंपरिक भोजन मक्के की रोटी और सरसो का साग बनाकर बड़े चाव से खाते है।
- कहते है, लोहड़ी (Lohri) आई सर्दी गई।
- क्या आपको पता है लोहड़ी (Lohri)को लोई भी कहते जो कि महान संत कबीर दास जी की पत्नी के नाम पर पढ़ा है।
तो सभी लोहड़ी (Lohri) की शुभकामना के साथ आशा है कि, इस साल लोहड़ी आप सभी की जिंदगी में ढेर सारी खुशियां लेकर आए। आप सब भी मक्के की रोटी और सरसो के साग के साथ लोहड़ी एन्जॉय करे।