Income Tax Slab: 2020 के बजट में सरकार ने नागरिकों को टैक्स भरने के दो विकल्प दिए थे। नागरिक अपने हिसाब से पुराने और नए (Income Tax) टैक्स स्ट्रक्चर में से कोई एक टैक्स स्लैब (Tax Slab) को चुन सकते थे।
क्लीयर के संस्थापक एवं सीईओ अर्चित गुप्ता का कहना है कि, नया टैक्स और पुराने स्लैब पुराने टैक्स स्लैब (Income Tax) में थोडा अंतर है। पहले के टैक्स स्लैब (Tax Slab) में दर कम और अधिक स्लैब हैं। जबकि नए वाले में टैक्स स्लैब (Tax Slab) अपनाने पर स्टैंडर्ड डिडक्शन, होम लोन, एलआईसी, हेल्थ इंश्योरेंस जैसे लाभ और करीब 70 तरह की छूट और कटौती का लाभ नहीं मिलेगा, जो पुराने टैक्स स्लैब (Tax Slab) में मिलता है।
नई टैक्स स्लैब (Tax Slab) के अनुसार में 5 से 7.5 लाख की एनुअल इनकम पर इनकम टैक्स (Income Tax) को 20 फीसदी घटाकर 10 फीसदी किया गया था। 7.5 लाख से 10 लाख रुपये सालाना आय वाले नागरिकों के लिए इनकम टैक्स रेट 15 फीसदी कर किया गया था।10-12.5 लाख रुपये सालाना आय वालों के लिए इनकम टैक्स रेट 20 फीसदी और 12.5 से 15 लाख रुपये सालाना आय वालों पर इनकम टैक्स (Income Tax) रेट 25 फीसदी कर दिया गया था। 15 लाख से ज्यादा की आय पर टैक्स रेट 30 फीसदी रहेगी।
कौन सा टैक्स स्लैब है रहेगा बेहतर
क्लियर के संस्थापक अर्चित गुप्ता कहते है कि सारे टैक्सपेयर्स को अपनी टैक्सेबल (Tax Slab)इनकम पर मिलने वाली छूट और कटौती का लाभ उठाने के बाद जो लागू सामान्य दरे है उन पर लगने वाली टैक्स को कैलकुलेट करना चाहिए। एक उदाहरण के तौर पर पुराने टैक्स स्लैब के तहत नौकरीपेशा व्यक्ति एलटीए, एचआरए, स्टैंडर्ड डिडक्शन के लिए 50,000 रुपये की छूट का दावा कर सकता है, और व्यक्तिगत करदाता हाउसिंल लोन पर ब्याज और एनपीएस योगदान आदि पर भी इनकम टैक्स के सेक्शन 80C के तहत 1.5 लाख रुपये तक की छूट के लिए दावा कर सकता है। करदाता को नए टैक्स स्लैब के अनुसार भी अपनी आय पर टैक्स देनदारी की गणना क्रिकेट फिर इन दोनों की तुलना करने के बाद ही बेहतर टैक्स स्लैब (Income Tax) का चुनाव करना चाहिए।
किन्हें मिलेगा फायदा
नए टैक्स स्लैब (Tax Slab) के अनुसार सबसे ज्यादा टैक्स सालाना 15 लाख रुपये की आय या उससे ज्यादा की आय पर लगता है। यह टैक्स व्यवस्थित टैक्सपेयर्स के लिए ज्यादा फायदेमंद है,जो कि कम छूट और कटौती को क्लेम करते हैं। ऐसे लोग जो ऊंचे टैक्स स्लैब (Tax Slab) के अंदर आते हैं,साथ ही जिन्होने टैक्स बचाने के लिए जरूरी निवेश किया है, ऐसे लोगों को इस व्यवस्था से कुछ खास लाभ नहीं मिलेगा। ऐसे लोग जो नए स्लैब अपनाना चाहते हैं, उन्हें स्टैंडर्ड डिडक्शन, 80C, 80D, हाउसिंग लोन, एनपीएस जैसी तमाम छूट के लाभ को छोड़ना पड़ेगा।
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टैक्स स्लैब चुनते समय किन बातो का रखे ध्यान
- पेंशनभोगी या नौकरीपेशा व्यक्ति जिनका कोई बिजनेस नहीं है वो किसी भी कर व्यवस्था को चुन सकते है।
- अगर आपका कोई बिजनेस है,तो नई व्यवस्था चुन लेने के बाद सिर्फ एक ही बार पुरानी कर व्यवस्था में वापस लौट सकते हैं।
- जिन व्यक्तियों की सालाना आय पांच लाख रुपये से कम है, उन्हें कर का भुगतान नहीं करना होगा।
- नई व्यवस्था में वरिष्ठ नागरिक को कर में ज्यादा छूट नहीं मिलती। सबके लिए छूट की सीमा5 लाख रुपये ही है।