वर्तमान समय में बेटियां हर क्षेत्र में दबदबा कायम कर रही हैं. भले ही पहले के समय पर बेटियों को ज्यादा काम करने की आजादी नहीं थी, लेकिन समय के साथ-साथ यह रीत बदली है और अब तमाम क्षेत्रों में बेटियों का दबदबा हो चुका है. आज के इस पोस्ट में हम आपको एक ऐसी बेटी की कहानी से रूबरू कराने वाले हैं. जिसने एक छोटे से गांव से निकलकर इसरो जैसी बड़ी कंपनी में जूनियर साइंटिस्ट के तौर पर नौकरी हासिल की है. इसके बाद वह हर किसी के लिए प्रेरणा बन गई हैं. तो चलिए जानते हैं ऐसा कारनामा करने वाली पूर्वोत्तर राज्य की बेटी नाज़नीन यासमीन के बारे में.
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असुविधाओं के अभाव में साइंटिस्ट बनी बेटी
Naznin Yasmin, an https://t.co/7k4bCBpy80 student hailing from Assam’s Nagaon, has always aspired to work as a rocket scientist. Finally, her long dream has now turned into a reality with ISRO!
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— The Woman Post (@The_WomanPost) December 28, 2021
नाज़नीन यासमीन पूर्वोत्तर राज्य आसाम के नागाम इलाके की रहने वाली हैं. उन्होंने साल 2016 में आसाम के ही एक विश्वविद्यालय से एमटेक की डिग्री ली थी इससे पहले नाज़नीन ने गुवाहाटी विश्वविद्यालय से एनआईटीएस कॉलेज से बीटेक की डिग्री हासिल की थी. और अब हाल ही में इनका सिलेक्शन इस इसरो में जूनियर साइंटिस्ट के पद पर हुआ है.
यह बताती है कि वह हमेशा से ही साइंटिस्ट बनना चाहती थी और अब उनका यह सपना पूरा हो चुका है. बता दें, उन्होंने साल 2021 में इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन के लिए परीक्षा दी थी और अब इस परीक्षा में इन्हें सफलता मिल चुकी है. बता दें, नाज़नीन यासमीन साल 2021 में ही श्रीहरिकोटा में मौजूद इसरो के मुख्यालय में बतौर साइंटिस्ट शामिल हो गई थी.
मां बाप ने भी दिया पूरा साथ
Warmth congratulations and best wishes to Assam Kanya Nazneen Yasmin, daughter of Abul Kalam Azad & Manjila Begum of Nagaon District, on being selected as the scientist of Indian Space Research Organization #ISRO. @isro#NazninYasmin #indianspace #Earthquake pic.twitter.com/5i11sG4UKZ
— Digital News (@News2Digital) December 22, 2021
नाज़नीन के पिता का नाम अबुल कलाम आजाद है. जो एक स्कूल में बतौर शिक्षक काम करते हैं. वहीं इनकी मां घर का कामकाज संभालती हैं. जिनका नाम मंजिला बेगम है. यह कहती हैं कि पढ़ाई के दौरान उनके मां-बाप ने उनका पूरा योगदान दिया था और गांव में ही उन्होंने इंटरनेट जैसी सुविधाओं का भी लाभ लिया था और इसी की बदौलत अब वह इस मुकाम पर पहुंच चुकी है.
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