HOLI: होली का त्योहार भारत में ही नही बल्कि पूरी दुनियां में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। होली (Holi) के दिन मथुरा, वृंदावन,वाराणसी, जैसे शहरों के साथ साथ पूरा भारत देश होली के रंग जाता है। हमसे से कई सारे लोगो को गोली खेलना पसंद होता जबकि कुछ लोग हाई जिन्हे होली (Holi) ज्यादा पसंद नही होता है होली के दिन लोग अपने पुराने सारे भेद भाव मिटाकर एक हो जाते है, रंग, जाति, धर्म, और दोस्ती दुश्मनी सब कुछ भूल कर लोग साथ मिलकर होली मनाते है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार होलिका की आग में लोग अपने अंदर के सभी दोष,अहंकार और बुराई को भस्म करके अपने आप को शुद्ध करते है।
इस बार साल 2022 में होली (Holi) के पहले का होलिका दहन 17 मार्च को किया जायेगा और रंगो से होली एक दिन बाद 18 मार्च को खेली जाएगी।
फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होलिका दहन किया जाता है इसके पीछे कई सारी कहानियां प्रचलित है।
जाने कब है होलिका दहन मूहूर्त
इस बार साल 2022 में होलिका दहन का मुहूर्त रात 9 बजकर 3 मिनट से शुरू होकर रात 10 बजकर 13 मिनट तक रहने वाला है। पूर्णिमा 17 मार्च दिन में 1 बजकर 29 मिनट पर शुरू होकर 18 मार्च दिन में 12 बजकर 46 मिनट पर समाप्त होगा।
जानिए क्यों मनाते है होली (Holi)
होली (Holi) को लेकर कई सारी कथाएं प्रचलित है जिनमे से आज कुछ के बारे में हम आपको बताने वाले है ;
सबसे पहली और सबसे प्रचलित कथा है; भगवान नरसिंह की, कहते है कि नरसिंह के रूप में में भगवान इसी दिन प्रकट हुए थे और हिरण्यकश्यप नामक राक्षक का वध किया था। हिरण्यकशिपु ने अपनी बहन होलिका को आदेश था कि होलिका प्रह्लाद को अपनी गोद में बिठाकर आग में बैठे क्यूंकि होलिका को वरदान प्राप्त था आग में बैठने पर होलिका तो जल गई, लेकिन पर प्रह्लाद बच गए थे और तभी से होलिका दहन किया जाता है मानते है की ये बुरे पर अच्छाई की विजय है।
उसके बाद शास्त्रों के अनुसार कहते है कि चैत्र कृष्ण प्रतिपदा को धरती पर पहले मनुष्य मनु का जन्म हुआ था।
कई शास्त्र और पुराणों के अनुसार यह भी कहते है कि, कामदेव का पुनर्जन्म भी होली के दिन ही हुआ था शंकर भगवान के तीसरे नेत्र के द्वारा वो भस्म हो गए थे।
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फिर कथा आती है कि त्रेतायुग में विष्णु के 8वें अवतार श्री कृष्ण और राधारानी ने पहली बार होली (Holi) मनाई थी इसलिए भी होली प्रेम के त्योहार के रूप में मनाई जाती है।
भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी एक और कथा है कि भगवान श्री कृष्ण ने पूतना नामक राक्षसी का वध किया था और इसलिए इसी खु़शी में भी गोपियों और ग्वालों ने होली (Holi) मनाई थी।