Delhi – लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा यह भारत का सबसे टफ परीक्षा होता है। जिसे पास करना हर किसी के बस की बात नहीं होती है, क्योंकि इसके लिए फाइनेंशियल और मेंटली दोनों ही तरीकों से खुद को मजबूत रखना बहुत ही जरूरी होता है। साथ ही किसी भी स्टूडेंट्स को इस परीक्षा को पास करने के लिए उन्हें अपने परिवार के सपोर्ट की भी आवश्यकता होती है। यूपीएससी पास करने वाले हर एक उम्मीदवार की अपनी ही परिश्रम से भरी एक कहानी होती है जिनकी कहानी सुन हम सब भी अपने जीवन में परिश्रम करने के लिए प्रेरित होते रहे हैं।
ऐसी ही एक कहानी छोटू की है जिन की कहानी कठिनाइयों से भरा हुआ है जिनके जीवन में काफी कठिनाइयां होने के बावजूद छोटू आज IAS अफसर बनकर उभरे हैं। इनका जीवन निम्न स्तर पर गुजरा है इन्हें स्कूल जाने के लिए रोज 70 किलोमीटर दूर जाना पड़ता था।
हिमांशु गुप्ता (छोटू) का जीवन भरा था संघर्षों से
उत्तराखंड राज्य से बिलॉन्ग करने वाले IAS अफसर हिमांशु गुप्ता जी का बचपन काफी कठिनाइयों से भरा हुआ था, यह 70 किलोमीटर की सफर तय करके स्कूल जाया करते थे, इनके पिताजी घर का गुजारा के लिए मजदूरी किया करते थे। पैसों की तंगी देखकर हिमांशु ने भी पिता की मदद करने के लिए चाय की दुकान पर काम करना शुरू कर दिया था।
UPSC परीक्षा में सफल होने के लिए छोड़ा था स्कूल
कठिन परिस्थिति होने के बावजूद भी हिमांशु गुप्ता जी ने यूपीएससी लक्ष्य को लेकर जो खुद में एक जुनून बुना है वह काबिले तारीफ है, हिमांशु गुप्ता जी ने यूपीएससी परीक्षा में सफल व अपने सपने को साकार करने के लिए इन्होंने, अपना स्कूल कई सालों तक छोड़ देने का फैसला किया। यूपीएससी परीक्षा में सफल होने के लिए इन्होंने खुद को पढ़ाई के प्रति समर्पित कर कर दिया। और यूपीएससी की तैयारी में जुट गए। हिमांशु के पिता जी व इनका परिवार हमेशा हिमांशु के सपोर्ट में खड़े रहे है।
क्लासमेट चायवाला कहकर उड़ाते थे मजाक
हिमांशु घर को सपोर्ट करने के लिए चाय के ठेले पर काम किया करते थे, हिमांशु अपने क्लासमेटस लोगो को आता देख चाय के ठेले के आसपास ही छुप जाया करते थे। परंतु एक दिन उनके किसी क्लासमेट ने उन्हें चाय के ठेले पर काम करता देख लिया था। तब से उनके क्लासमेट उन्हें चायवाला कहकर उनका मजाक उड़ाया करते थे। परंतु हिमांशु इन बातों पर ध्यान ना देकर अपने लक्ष्य के प्रति केंद्रित रहे जिसकी बदौलत आज हिमांशु एक IAS अफसर बन चुके हैं।
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