हमारे भारत देश में कुछ फ़ीसदी लोग अपाहिज व अपंग होते हैं। ऐसे में यह लोग अपनी जिंदगी बड़ी ही कठिनाइयों से जीने के लिए विवश होते हैं। फिर भी इनमें से कई लोग ऐसे होते हैं, जो अपने जीवन में कुछ कर गुजर जाने का हौसला बुलंद रखते हैं। इनमें से ही एक बिहार की बिटिया की कहानी है जो सिर्फ एक पैर होते हुए भी स्कूल जाकर पढ़ाई करने के इनके लगन को देखकर आपकी आंखें नम हो जाएंगी, आइए जानते है क्या है इस बिहार की बिटिया की कहानी
बिहार राज्य के जमुई जिले के खैरा प्रखंड के फतेहपुर गांव में रहने वाली यह 10 साल की छोटी मासूम सी बच्ची किसी दुर्घटना में एक पैर खो देने के बावजूद भी यह होनहार बिटिया बड़ी तकलीफों से 1 किलोमीटर दूर अपने सिर्फ एक पैर से चलकर स्कूल जाया करती थी। सोशल मीडिया पर यह खबर वायरल होने के बाद प्रशासन को इस पूरी बात की भनक लगते ही। प्रशासन खुद इस 10 साल की मासूम बच्ची के घर पहुंच कर जिला प्रशासन की तरफ से डीएम अश्विन कुमार जो एक आईएएस अधिकारी है। इन्होंने सीमा को स्कूल जाने के लिए, व सुविधा के लिए सीमा को उपहार स्वरूप ट्राईसाइकिल भेंटकर बिटिया सीमा के उज्जवल भविष्य के लिए एक सराहनीय काम किए हैं। ट्राईसाइकिल मिलने पर सीमा काफी खुश है।
बिटिया सीमा को प्रशासन द्वारा ट्राईसाईकिल भेंट किया गया, मदद के लिए सराहनीय अभिनेता सोनू सूद जी भी आगे आए
बिटिया सीमा के एक पैर से स्कूल जाने की खबर सुन प्रशासन पूरी टीम के साथ बिटिया सीमा के घर पर पहुंची, सीमा को पढ़ाई के प्रति लगनसार देख कर सीमा की खूब तारीफ करते हुए, उन्हें आगे भी अच्छी तरह पढ़ने के लिए और मोटिवेट किया गया। इस बीच बिहार के जमुई के जिले में पदस्थ एक आईएएस अधिकारी अश्विन कुमार जी कहते हैं। सीमा के पढ़ने के प्रति लगन मेहनत और हिम्मत ढेरों तारीफ के काबिल है। सीमा बिटिया स्वयं से प्रेरित है। और उसी के चलते वे स्कूल जा रही है, जो सभी विद्यार्थियों के लिए एक प्रेरणा का स्त्रोत है।
अभिनेता सोनू सूद जी ने कहा बिटिया सीमा अब दोनों पैरों पर स्कूल जाएगी
गरीबों और बेसहारा लोगों के मदद करने के लिए काफी चर्चा में रहने वाले सराहनीय अभिनेता सोनू सूद जी बिटिया सीमा की मदद के लिए आगे आते हुए कहते हैं, की बिटिया सीमा अब दोनों पैरों पर चलकर स्कूल जाएगी। अभिनेता सोनू सूद जी ट्विटर पर ट्वीट कर कहते हैं कि अब बिटिया सीमा का दोनों पैरों पर चलने का समय आ गया है। इसलिए टिकट भेज रहा हूं।
सीमा के स्कूल में कराई जा रही है स्मार्ट क्लास की व्यवस्था
अब जल्दी सीमा को एक कृत्रिम पैर लगाया जाएगा इसका सारा खर्चा सरकार उठाएगी, तथा सीमा जिस स्कूल में पढ़ती है उस स्कूल में 1 महीने के भीतर एक स्मार्ट क्लास बनाने की प्रोसेस भी शुरू हो चुकी है। साथ ही अश्विन कुमार जी कहते हैं सीमा बहुत ही गरीब परिवार से आती हैं। इसलिए सीमा के परिवार को जल्द ही राशन कार्ड मकान और सरकारी योजना द्वारा मिलने वाले सारे सुख सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी,ताकि इस परिवार को राहत मिल सके। जमुई जिला के जिला अधिकारी अश्विन कुमार जी कहते हैं कि जो भी बच्चा इस प्रकार की दुर्घटना से ग्रस्त है ऐसे बच्चों को टोला सेवकों द्वारा मार्क किया जाए व ऐसे बच्चों को उचित सुविधा दिलाई जाए ताकि इन बच्चों के जीवन में शिक्षा का अभाव ना हो, जो बच्चे आंख कान मुंह से अपाहिज हैं। ऐसे अपाहिज बच्चों के लिए, सरकारी संस्था और प्राइवेट संस्था बहुत ही कड़ी मेहनत कर रही है तथा इनके लिए अच्छी से अच्छी व्यवस्था कर रही है ताकि इन्हें इशारे से पढ़ाया व समझाया जा सके। तथा जो बच्चे हाथ पैर से अपाहिज है उन्हें ट्राईसाईकिल उपलब्ध करवाई जा रही है।
10 वर्ष की मासूम बच्ची सीमा के नेक इरादे
सीमा कहती है कि आज मैं शिक्षा ग्रहण करके और लोगों को भी शिक्षा दूंगी, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग शिक्षित हो और वे शिक्षा का मोल समझ सके। 10 वर्ष की सीमा खैरा प्रखंड के एक नक्सल प्रभावित क्षेत्र फतेहपुर गांव की निवासी है। इनके पिता का नाम खिरन मांझी है। 2 वर्ष पहले हादसे में सीमा ने अपना एक पैर खो दिया था। पर इनका पढ़ाई को लेकर बुलंद हौसला देखते हुए, गांव की सारी लड़कियों के लिए, यह महज 10 वर्ष की यह मासूम बच्ची शिक्षा को लेकर के, एक मिसाल कायम करके खुद भी हर किसी के लिए मिसाल बन गई है। इस 10 वर्ष की मासूम सी बिटिया के हौसले को हम तहे दिल से इन्हें सलाम करते हैं।
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