EPFO: देश के करीब 24 करोड़ लोगों के लिए यह एक खुशखबरी हो सकती है क्योंकि सरकार बढ़ाने वाले है ब्याज दरें।
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के द्वारा एक अपडेट सामने आई है जल्द ही वित्तीय वर्ष 2021-22 में जमा किए गए पीएफ बैलेंस पर ब्याज दर बढ़ाने का फैसला ले लिया जा सकता है।
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के डिसीजन के बारे में फैसले लेने वाली संस्था सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी (CBT) अगले महीने गुवाहाटी में एक मीटिंग करने वाली है। CBT की इसी मीटिंग में पीएफ ब्याज दर को लेकर बड़ा फैसला लिया जा सकता है।
केंद्र सरकार के श्रम मंत्री भूपेन्द्र यादव epfo ब्याज दर को लेकर जानकारी साझा कर चुके हैं। उन्होंने बताया है कि वित्तीय वर्ष 2021-22 में जमा किए गए पीएफ बैलेंस पर ब्याज दर बढ़ाने को लेकर फैसला,अगले वित्त वर्ष में होने वाली आमदनी के अनुमान पर किया जाएगा। भूपेन्द्र यादव वर्तमान में सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी (CBT) के प्रमुख भी हैं।
कोरोना काल में घट गई थी ब्याज दरें
2020-21 के वित्तीय वर्ष में पीएफ खाते में जमा राशि की ब्याज दर को घटाकर 8.5 प्रतिशत किया गया था। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2020 में अक्टूबर में इस फैसले को मंजूरी दे दी।
इस फैसले को मंजूरी देने के बाद पीएफ पर मिलने वाली ब्याज दर बहुत नीचे पहुंच गई है। इससे पहले के वित्तीय वर्ष 2018-19 में EPFO ने 8.65 प्रतिशत कर दिया था। इससे भी पहले के वित्तीय वर्षो में 2013-14 में ब्याज दर 8.75 प्रतिशत कर दी गई थी।
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कर्मचारी भविष्य निधि– कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) retirement के बाद की एक बचत योजना है, जिसका प्रबंधन कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) द्वारा ही किया जाता है। ईपीएफओ का अलग से कोई खाता खोलने की जरूरत नहीं है न ही अपको कही जाने को जरूरत है। जब कोई कर्मचारी किसी कंपनी में काम करता है तो उस कंपनी की तरफ से ही उसे व्यक्ति का पीएफ खाता खुल जाता है। EPFO मे हर महीने कर्मचारी के मूल वेतन का 12 फीसदी कटकर जमा हो जाता है। EPFO के द्वारा भी अधिकतम 12 फीसदी उस कर्मचारी के पीएफ खाते में जमा किए है। फिर इस पूरे पैसे पर सरकार द्वारा सालाना ब्याज दिया जाता है।