जब भी आप चीन की दीवार देखने के लिए जाते हैं तो उससे पहले आप ये दीवार ज़रूर देख।जो कि दुनिया की दूसरी सबसे मज़बूत और लंबी दीवार है। राजस्थान के राजसमंद ज़िले में स्थित कुंभलगढ़ किला ।इस किले की सबसे दिलचस्प बात है यह है कि ये लगभग 36 कि.मी. लम्बी इस दीवार को भेदना सम्राट अक़बर के लिए भी संभव नहीं हुआ।
आपको बता दें कि 9 मई 1540 को महाराणा प्रताप ने इसी किले में जन्म लिया था। यह किला अपनी मजबूती से संकट के समय मेवाड़ की हिफाजत करता रहा है। राजपूतों की धरती राजस्थान के प्रमुख किलों में शुमार कुंभलगढ़ किला उदयपुर शहर से लगभग 82 कि.मी. दूर अरावली की चोटी पर अवस्थित है।
कुंभलगढ़ किले का निर्माण
एक किले का निर्माण राणा कुंभा ने साल 1443 में सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस किले का निर्माण शुरू किया। किले के चारों ओर दीवार बनाने की जब शुरुआत हुई तो बनती ही गई। हालांकि ये बेहद कठिन काम रहा जिसे राणा खुद बनवाते हुए महसूस कर रहे थे। इसे बीच में ही रोकने की इच्छा हुई तो एक संत ने उन्हें मोटिवेट किया और इसका निर्माण पूरा हुआ। उदयपुर के संस्थापक राजकुमार उदय ने भी इस पर शासन किया।
इस किले की लंबाई और चौड़ाई को देखते हुए इसे ‘ग्रेट वॉल ऑफ़ इंडिया’ कहा जाता है। इसे सालों गुमनाम रखा गया ताकि आक्रमणों से बचाया जा सके। हालांकि इसकी मज़बूती और बनावट ने इसे अजेय किले के रूप में स्थापित किया। अरावली पहाड़ पर मजबूत पत्थरों से बना इस किले की दीवार 15 मीटर चौड़ी है, जिस पर कई घोड़े एक साथ दौड़ सकते हैं।
आपको जानकर हैरानी हो सकती है कि कुंभलगढ़ किले में 360 मंदिर मौजूद हैं। किले के अंदर प्रवेश के लिए 7 द्वार बने हुए हैं। बताया जाता है कि किले के लगभग 300 मंदिर जैन और 60 मंदिर हिन्दू देवताओं के हैं। खासतौर पर नीलकंठ महादेव का मंदिर आकर्षण का महत्वपूर्ण केंद्र है, जहाँ देर शाम लाइट और साउंड शो देखने के लिए टूरिस्ट जमा होते हैं।
इस किले की दीवार पर मशालें लगाई गई हैं जो कि रात में जलती रहती हैं। रात के समय दीवार का नज़ारा अलग ही होता है। सैंकड़ों सालों से खड़ा ये दीवार आज भी अपने मूल रूप में खड़ा है। इसकी खासियतों की वजह से इसे यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शुमार किया गया है।