देश और दुनिया में तमाम ऐसे लोग मौजूद हैं. जो काफी ज्यादतियों का शिकार होते हैं, लेकिन परिस्थितियां ऐसी बन जाती हैं. जिसकी वजह से उन्हें स्थिति में अपना जीवन बिताना ही पड़ता है. वहीं कुछ ऐसे भी लोग होते हैं. जो गलत को गलत और सही को सही कहने का आंख में आंख मिलाकर जज्बा रखते हैं. ऐसी ही एक महिला बेबी हलदर भी हैं. जिन पर शुरुआत में काफी जुल्म किए गए थे. यहां तक कि उनकी बचपन में ही शादी कर दी गई थी. जिस उम्र में खेलने और पढ़ने की उम्र होती है. उस उम्र में यह बच्चों की मां बन चुकी थी लेकिन उन्होंने गलत का विरोध करना कभी बंद नहीं किया. इन्होंने शुरुआती जीवन में ना सिर्फ लोगों के घर-घर जाकर बर्तन और झाड़ू पहुंचा करने का काम किया था. बल्कि तमाम लोगों से गंदे गंदे ताने सुने थे, लेकिन वर्तमान समय में यह झाड़ू पोछा करने वाली के नाम से नहीं बल्कि एक मशहूर लेखिका के नाम से जानी जाती है.
खेलने की उम्र में बन गई मां

आपको जानकर अचरज हो सकता है. इनकी शादी महज 12 वर्ष की उम्र में ही कर दी गई थी. जिस शख्स के साथ इनकी शादी करी गई थी. वह शख्स करीब 14 साल इनसे बड़ा था और कुछ सालों बाद ही यह तीन बच्चों की मां बन गई थीं. इनका पति शराब पीकर इनके साथ मारपीट करता था. कुछ समय तक इन्होंने इस चीज को सहन किया, लेकिन स्थिति ऐसी आ गई जिसके बाद उन्होंने घर को छोड़ना ही बेहतर समझा और यह अपने बच्चों को लेकर घर से निकल आई थी. इनको भी नहीं पता था कि वह कहां जाएंगी. इनका आशियाना कहां होगा. बेबी हलदर के मुताबिक वह महज 15 बरस की उम्र में 3 बच्चों की मां बन चुकी थी. उनका पति उनके साथ दिन-रात मारपीट करता था. यहां तक कि उसने एक बार तो उनके साथ इतनी बुरी तरह मारपीट की थी. जिसके बाद वह बुरी तरह से चोटिल हो गई थीं.
झोपड़ी में बनाया नया आशियाना

बेबी हलदर महज 15 वर्ष की उम्र में 3 बच्चों की मां बनने के बाद घर छोड़ने का फैसला ले चुकी थीं क्योंकि इनके पति ने सारी सीमाएं लांघ दी थी. ऐसे में इनके पास रहने के लिए कोई भी ठिकाना नहीं था. इसके बाद इन्होंने एक झोपड़ी में तीन बच्चों के साथ रहना शुरू कर दिया और वहीं से इनके असल सफर की शुरुआत हुई थी जिसके बाद एक दिन ट्रेन में बैठी और इनको किस्मत की दास्तां ने एक ऐसे मुकाम पर ले जाकर खड़ा कर दिया. जहां से इनकी किस्मत और जिंदगी दोनों बदलने वाली थीं. और कुछ ही समय बाद यह एक नई जीवन गाथा लिखने की चौखट पर जाकर खड़ी हो चुकी थीं.
लिखने की आदत ने बदल दी जिंदगी

बेबी हलदर जब लोगों के घर में सब साफ सफाई और पोछा करने का काम करती थीं. उसी सिलसिले में यह एक बार मुंशी प्रेमचंद की पोते प्रबोध कुमार के यहां भी जा पहुंची थी. जब यह प्रबोध कुमार के घर में झाड़ू पहुंचा कर रही होती थी. उस दौरान इनकी नजरें किताबों पर होती थी और प्रबोध कुमार को भी इनकी आंतरिक इच्छा समझ आने लगी थी. जिसके बाद उन्होंने इनसे लिखने के लिए कहा. इसके बाद से ही इनका लिखने का सफर शुरू हुआ. उन्होंने इनका परिचय लिखने के लिए कहा था लेकिन तब से ही इन्हें एक ऐसी आदत लग गई. जिसकी वजह से इन्होंने कई ऐसी किताबें लिख डाली जो साहित्य और कला के क्षेत्र में अदम्य काम कर रही हैं.
फिर लिख डाली जिंदगी भर एक किताब

जब प्रबोध कुमार ने बेबी हलदर से लिखने के लिए कहा था. उस समय ही इनके दिल में लिखने के प्रति ललक उठने लगी थी, लेकिन इनको भी नहीं पता था कि इन्हें क्या लिखना है. उन्होंने इस किताब में अपने “जिंदगीनामा” को ही लिख दिया. जब इनका यह जिंदगीनामा भारतीय मार्केट में आया तो इसने लोगों के दिलों में अपनी अलग ही पहचान बना ली. लोगों को इनके द्वारा लिखी गई यह जिंदगीनामा किताब काफी पसंद आई थी. खास बात यह है वर्तमान समय में यह एक साहित्य की जानी मानी लेखिका है, लेकिन इन्होंने आज तक झाड़ू पोछा करना नहीं छोडा है.
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