गरीबी में पढ़ने कर अपने जीवन में अच्छा मुकाम हासिल करना किसी भी व्यक्ति के लिए आसान नहीं है. आपको बता दें कि यह बात हर कोई जानता है कि आज कल ट्यूशन संस्थानों के फीस कितनी बढ़ गई है. यही कारण है कि कोई भी माता-पिता अपने बच्चों को पढ़ाने में एक बार जरूर सोचते हैं. लोगों का ऐसा मानना है कि अगर वह लाखों रुपए खर्च करके अपने बच्चों को पढ़ाते हैं और पढ़ाई पूरी होने के बाद अगर उन बच्चों को नौकरी नहीं मिली, तो यह किसी भी मां-बाप के लिए आसान नहीं होगा. लेकिन दूसरी तरफ गरीबी में भी कई ऐसे छात्र देखे जा चुके हैं, जो पढ़ लिखकर कामयाब हुए हैं.
आज हम आपको जिस छात्रा के बारे में बताने वाले हैं, उस छात्रा का नाम नेहा मिश्रा है, जो हमारे देश भारत के राज्य बिहार के भागलपुर जिले की रहने वाली है. नेहा मिश्रा के पिता का नाम मोहन मिश्रा है. आपको बता दें कि मोहन मिश्रा ऑटो चला कर अपना पेट पालते हैं. यही नहीं बल्कि उन्होंने ऑटो चला कर ही अपनी बेटी नेहा मिश्रा को पढ़ाया लिखाया है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि नेहा मिश्रा की आर्थिक स्थिति कितनी बुरी थी.
आपको जानकर हैरानी होगी कि नेहा मिश्रा के पिता के पास खुद का घर भी नहीं है, वह एक किराए के घर में रहकर अपना जीवन व्यतीत करते थे. लेकिन इन्हीं परिस्थितियों में उन्होंने अपनी बेटी को पढ़ा लिखा कर इस लायक बनाया कि उनकी बेटी आज बेहद अच्छी जगह नौकरी कर रही है. मालूम हो कि नेहा मिश्रा शुरू से ही सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनना चाहती थी. सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने के बाद नेहा मिश्रा की नौकरी दुनिया की मशहूर कंपनी अमेजॉन में बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर लग गई.
आपको बताते चलें कि अमेजॉन में नौकरी लगने के बाद में एवं उनके परिवार वालों में खुशी की लहर दौड़ गई. यही नहीं बल्कि नौकरी के बाद नेहा मिश्रा ने खुद के पैसों से अपने पिता को एक घर गिफ्ट किया है. जहां मोहन मिश्रा ने अपनी सारी जिंदगी किराए के मकान में गुजार दी, वहीं उनकी बेटी ने उन्हें एक अच्छा सा घर गिफ्ट किया है.
To get secure cheap & best deal from Flipkart, Amazon, Ajio, and Myntra then do join our Telgram group.
Discussion about this post