हमारे देश भारत में शिक्षक का दर्जा काफी ऊपर होता है. यही नहीं बल्कि कई लोगों का ऐसा मानना है कि शिक्षक भगवान से भी ऊपर होते हैं. यही कारण है कि, हमारे देश भारत में शिक्षक को काफी रेस्पेक्ट दिया जाता है. ऐसे ही आज हम आपको एक शिक्षिका के बारे में बताएंगे, जिन्होंने अपनी शिक्षिका होने का धर्म पूरी तरह से निभाया. आपको बता दें कि एक शिक्षक का काम केवल बच्चों को पढ़ाना ही नहीं बल्कि बच्चों की देखभाल करना भी होता है. उनका बच्चों के साथ एक अलग प्रकार का रिश्ता जुड़ जाता है, ऐसे में जब वह शिक्षक रिटायर हो जाता है, तो बच्चे काफी दुखी हो जाते हैं.
आज हम आपको जिस शिक्षकों के बारे में बताने वाले हैं, उनका नाम चिलुकुरी संतम्मा है. चिलुकुरी हमारे देश भारत के राज्य आंध्रप्रदेश के विशाखापट्टनम की रहने वाली हैं. उनकी उम्र के बारे में बात करें तो उनकी उम्र 93 साल हो चुकी है. लेकिन इस उम्र में भी वह कॉलेज जाकर बच्चों को पढ़ाती हैं. यही नहीं बल्कि आपको जानकर हैरानी होगी कि, वह इस उम्र में बैसाखी का सहारा लेकर चलती है. लेकिन इसके बावजूद कॉलेजों में जाकर पढ़ाती हैं.
चिलुकुरी ने जब अपनी पढ़ाई पूरी कर ली, तब आंध्र प्रदेश यूनिवर्सिटी के कॉलेज ऑफ साइंस में पढ़ाने लगी. वह वहां एक प्रोफेसर के तौर पर बच्चों को पढ़ाने लगी. साल 1989 में जब उनकी उम्र 66 साल थी, तब वह उस कॉलेज से रिटायर हो गई. लेकिन यह रिटायर केवल कागज पर था, असल जिंदगी में वह कभी रिटायर नहीं हुई.
66 साल की उम्र में कॉलेज से रिटायर होने के बाद भी वहां कॉलेज जाकर बच्चों को पढ़ाना जारी रखा. यही नहीं बल्कि आज उनकी उम्र 93 साल हो गई है और आज भी वह कॉलेज जाकर बच्चों को पढ़ाती हैं. मीडिया से बात करते हुए कहते हैं कि, बच्चों को पढ़ाना उनके जीवन का एकमात्र मकसद है. यही कारण है कि, वह इस उम्र में भी कॉलेज जाकर बच्चों को पढ़ाते हैं.
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