यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन के बारे में कहा जाता है कि यह परीक्षा समर्पण मांगती है. जो लोग इस समर्पण के लिए अपनी चाहतों का कुरबान कर देते हैं. वह इस परीक्षा में सफल होते हैं. यूं तो इस परीक्षा में हर साल लाखों अभ्यर्थी हिस्सा लेते हैं. और साल दर साल अभ्यर्थियों की ये संख्या बढ़ती ही जाती है, लेकिन इस परीक्षा में कड़ी संघर्ष और परिश्रम के बावजूद भी कुछ ही लोग सफल हो पाते हैं. और जो लोग सफल होते हैं. उनकी प्रेरणा भरी कहानी हर किसी के लिए मिसाल बन जाती है. आज की यह पोस्ट भी एक ऐसी लड़की के संघर्ष की कहानी पर आधारित है. जिसकी शुरुआती शिक्षा एक साधारण स्कूल में हुई थी. उसके बाद उसने आईआईटी किया और फिर आईएएस बनने तक का सफर तय किया.
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कहानी संघर्षों से लड़कर जीतने वाली गरिमा अग्रवाल की
हमारी इस पोस्ट की पात्र आईएएस अधिकारी गरिमा अग्रवाल हैं. भले ही आज यह बतौर आईएएस काम कर रही हैं और सख्त छवि अधिकारी मानी जाती हैं, लेकिन एक समय पर इनकी आर्थिक स्थिति काफी खराब हुआ करती थी और इनकी शुरुआती शिक्षा एक साधारण से स्कूल में संपन्न हुई थी. स्कूल में गरिमा अग्रवाल होनहार छात्राओं की लिस्ट में शामिल होती थी. इनके दसवीं में 92 फ़ीसदी अंक आए तबकी 12वीं में 89 प्रतिशत अंक हासिल करने में यह कामयाब रही. इसके बाद इनका आगे का सफर शुरू हुआ और इन्होंने जेइई का पेपर देने की सोची और इस परीक्षा को दिया भी. ना सिर्फ दिया बल्कि इस परीक्षा में सफलता हासिल की और उसके बाद इनका एडमिशन आईआईटी में हो गया.
आईआईटी करने के बाद आईएएस बनने का आया विचार
गरिमा अग्रवाल आईआईटी करने के बाद विदेश में अच्छे खासे पैकेज पर नौकरी कर सकती थी. उन्होंने आईआईटी हैदराबाद से पढ़ाई की और उसके बाद इनका मन इस क्षेत्र से अलग हटकर कुछ अलग करने के लिए बन गया. इसके बाद इन्होंने यूपीएससी प्रिपरेशन करना शुरू कर दिया और पहले ही अटेम्प्ट में इन्होंने यूपीएससी की परीक्षा पास कर दी. लेकिन गरिमा अग्रवाल आईएएस बनना चाहती थी और इनको पहले प्रयास में आईपीएस रैंक मिली थी. उन्होंने हार नहीं मानी और दूसरे प्रयास में इन्होंने यूपीएससी की परीक्षा को पास करके अपना आईएएस बनने का सपना पूरा किया. साल 2017 में आईपीएस बनने वाली गरिमा अग्रवाल ने साल 2018 में 40 वी रैंक हासिल की थी. जिसके बाद इन्हें आईएएस का पद मिला था.
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