हौसला हो तो कैदखानों से भी चिराग रौशन हो सकता है. नवादा मंडल कारा के रहने वाले सूरज कुमार को आज किसी मिसाल से जाना जा रहा है. सूरज एक कैदी के रूप में जेल में अपना जीवन व्यतीत कर रहा है. जेल में रहते हुए सूरज ने कुछ ऐसा कर दिखाया है जो बड़े-बड़े शानो शौकत के बीच रहकर भी नहीं कर पाते हैं. सूरज ने जेल में रहते हुए आईआईटी का एंट्रेंस एग्जाम पास कर ली है. जेल में समय बिताते हुए ज्वाइंट एडमिशन टेस्ट फॉर मास्टर्स की परीक्षा में सफलता हासिल कर लोगों के लिए एक उदाहरण बनकर प्रस्तुत हुआ है.
सूरज ने जेल से आईआईटी एंट्रेंस एग्जाम ज्वाइंट एडमिशन टेस्ट फॉर मास्टर्स की परीक्षा में ऑल ओवर इंडिया 54 वां रैंक हासिल किया. अब सूरज आईआईटी कॉलेज में एडमिशन ले कर मास्टर्स की पढ़ाई कंप्लीट करेगा. इसके परिवार वालों ने सूरज की कामयाबी के पीछे काराधीक्षक अभिषेक कुमार का हाथ बताया. अभिषेक कुमार पांडे ने सूरज को जेल में ही वह सारी सुविधाएं मुहैया कराई जिससे वह एग्जाम पास कर सके. इसके लिए अभिषेक कुमार पांडे ने बुक्स और नोट्स का इंतजाम कर सूरज तक पहुंचाया. अभिषेक कुमार द्वारा उठाए गए कदम से सूरज के अंदर एक नई ऊर्जा और हौसला उत्पन्न हुई जिससे वह आज पूरी तरह कामयाब रहा.
सूरज को एक और अन्य नाम से भी जाना जाता है वह नाम कौशलेंद्र कुमार है. सूरज वारिस अलीगंज मौसमा गांव का निवासी है. सूरज ने जेल जाने से पहले एंट्रेंस एग्जाम के लिए कोटा में रह कर आईआईटी की तैयारी की थी. लेकिन जब वह जेल गया तब उसका मनोबल पूरी तरह से टूट चुका था. गांव में नाली विवाद के चलते सूरज के हाथों एक व्यक्ति की हत्या हो गई थी. इस हत्या के जुर्म में पुलिस ने सूरज को गिरफ्तार कर लिया और उसे जेल में डाल दिया.
काराधीक्षक अभिषेक कुमार पांडे ने मोटिवेशन स्पीच सुनकर सूरज को मदद करने की सोची. इसके लिए अभिषेक कुमार पांडे ने एग्जाम से रिलेटेड बुक्स और नोट्स का इंतजाम कर सूरज तक पहुंचाया. इससे सूरज को भी तैयारियां करने में काफी सहायता मिला और वह एग्जाम क्वालीफाई करने में कामयाब रहा.
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