Ias Ummul Khair : सफलता पाने के लिए दिन-रात एक करनी पड़ती है. वाकई सफलता दिन रात किए गए कठिन परिश्रम के बाद ही हासिल होती है. वही जब कोई इस कठिन समय में मेहनत कर लेता है तो उसे आगे चलकर की गई मेहनत का शानदार फल भी मिलता है. आज के इस पोस्ट में हम आपको एक ऐसी विकलांग लड़की की कहानी बताने वाले हैं. जो चल फिर नहीं पाती थी लेकिन उसने यूपीएससी की परीक्षा में शानदार सफलता हासिल कर सबको हैरान कर दिया. उसने दिखा दिया कि उसके पैर नहीं है तो उसके बिना भी वह बहुत कुछ कर सकती है. इस लड़की ने बता दिया है कि हौसलों से सब कुछ होता है. और उसने करके दिखाया भी है. जी हां, हम बात कर रहे हैं उम्मूल खैर के बारे में. जिन्होंने साल 2016 में यूपीएससी की परीक्षा पास की थी. आइए जानते हैं. Ias Ummul Khair के बारे में और ज्यादा जानकारी.
परिस्थितियों में बीता बचपन
भले ही Ummul Khair आज एक मुकाम पर पहुंच चुकी हैं लेकिन इनके जीवन के दौरान भी एक समय ऐसा था. जिसको काटना इनके लिए बहुत मुश्किल था घर वालों के पास पढ़ाने के लिए पैसे नहीं थे तो इनके पास भी पैसे कमाने का कोई जरिया नहीं था लेकिन वह कहते हैं ना जिसके अंदर हौसला जिंदा होता है. उसके लिए कहीं ना कहीं से व्यवस्था हो ही जाती है और इनके लिए भी ऐसा ही हुआ. यह बताती है कि इनके पिता रहडी पर मूंगफली बेचा करते थे और उससे ही इनका गुजारा चलता था. और इनका परिवार निजामुद्दीन के पास कुछ झुग्गियों में रहकर अपना जीवन यापन करता था लेकिन साल 2001 में सरकार ने इन झुग्गियों हटवा दिया था, जिसके बाद उनका परिवार त्रिलोकपुरी शिफ्ट हो गया.
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झेला पारिवारिक विरोध
उम्मुल खैर के जीवन में आर्थिक परेशानीयां तो रही ही थी. इसके साथ ही उन्होंने पारिवारिक बोझ भी खूब झेला था. यह बताती है कि जब वह छोटी सी थी तब उनकी मां का निधन हो गया था और उनके पिता ने दूसरी शादी कर ली थी. जो उनकी दूसरी मां थी उनके साथ इनकी बिल्कुल भी नहीं बनती थी. जब वह रात को देर तक पड़ती थी तो वह उनको कोसती थी और कहती थी कि यह विकलांग क्या करेगी और इसी परेशानी को देखते हुए उनको जिंदगी का बड़ा फैसला लेना पड़ा और उन्होंने घरवालों से अलग रह कर पढ़ाई करने की ठानी और किराए पर एक कमरा ले लिया. और फिर यहीं से इनकी यात्रा ने रफ्तार पकड़ ली और इस दौरान ये अपना खर्चा चलाने के लिए बच्चों को ट्यूशन भी पढ़ाती थी.
फिर ऐसे हुई मेहनत का सफल
उम्मुल ने बताया कि उन्हें बचपन से ही लगता था कि आईएएस बनकर वह अपनी सभी समस्याओं को दूर कर सकती है. यही वजह है कि उन्होंने बहुत पहले ही ठान लिया था कि उन्हें जीवन में आईएएस बनना है. उम्मूल खैर ने स्कॉलरशिप की मदद से दिल्ली यूनिवर्सिटी से अपना ग्रेजुएशन पूरा किया. वहीं इसके बाद उन्होंने जेएनयू से मास्टर्स और एमफिल की डिग्री ली. वह भी स्कॉलरशिप की मदद से और उस समय ही इन्होंने यूपीएससी की परीक्षा देना शुरू कर दिया था. इनको साल 2018 में यूपीएससी की परीक्षा में 420वी रैंक मिली थी.
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