लोग अक्सर किसी को उसके पहनावे या उसके हाव भाव से जज कर लेते हैं. आमतौर पर लोग बीना सच्चाई जाने ही लोगो का अपने हिसाब से उपहास उड़ाने लगते हैं, लेकिन कई ऐसे उदाहरण है जिन्हें पहले तो लोग उनके साधारण अवस्था को देखकर उनकी बेज्जती कर दिया था। लेकिन बाद में साधारण से दिखने वाले लोगों ने कुछ इस तरह से बदला लिया जिसको देखने के बाद पुरी दुनिया आज भी उनको सलाम करती है.
सेल्समैन से किसान ने लिया बदला
कर्नाटक के तुमकुर के रहने वाले एक किसान जिनका नाम केंपेगोड़ा आरएल है. जब यह कर्नाटक के ही एक महिंद्रा शोरूम में अपने दोस्त के साथ गाड़ी खरीदने के लिए पहुंचे तब वहां के सेल्समैन ने इन्हें गरीब समझकर भगा दिया. जिसके बाद यह मात्र 30 मीनट में ही 10 लाख रूपया कैस लेकर उस शोरूम में पहुंच गए. फिर सेल्समैन ने इन्हे 4 दिन के अंदर गाड़ी डिलीवर करने का वादा कर दिया. हालांकि, छुटी के वजह से गाड़ी डिलीवर नही हो सकी. फिर इस किसान ने इसकी पुलिस में शिकायत कर दी और यह मामला सोशल मीडिया पर चर्चा में आ गया. जब इस बात की जानकारी आंनद महिंद्रा को लगी तब इन्होनें इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी और फिर इस किसान को उसकी गाड़ी मिल गई. इस मामले के वजह से इस किसान ने सोशल मीडिया से काफी लोगो का ध्यान अपने तरफ खीचा था.
जब एक होटल से जमशेद टाटा ने लिया था बदला
दरअसल, एक बार जमशेद टाटा ब्रिटेन के एक होटल में अपने दोस्त से मिलने गए थे. हालांकि, उस होटल के मैनेजर ने इन्हे वहा जाने से रोक दिया. दरअसल, उस होटल के मैनेजर ने जमशेद टाटा से कहा था कि यहां पर भारतीयों का अंदर आना मना है. जिसके बाद भारत आने पर जमशेद टाटा ने ताज होटल की स्थापना की और अब जब भी कोई विदेशी भारत आता है तो वह ताज होटल में ही रुकना पसंद करता हैं।
जब रतन टाटा ने लिया फोर्ड से अपने अपमान का बदला
साल 1998 में अपने ड्रीम प्रोटेक्ट के फेल हो जाने के बाद से रतन टाटा फोर्ड कंपनी के पास मदत के लिए गए थे. हालांकि, उस दौरान फोर्ड के द्वारा कहा गया था कि हम टाटा मोटर्स के कार बिजनेस को खरीदते हैं तो यह फोर्ड का अहसान होगा. यह बात रतन टाटा को काफी ज्यादा बुरी लगी थी. हालांकि, साल 2008 में जब पुरी दुनिया वित्तीय संकट में थी तब टाटा ने फोर्ड से जैगवार तथा लैंड-रोवर ब्रैंड को खरीद कर फोर्ड की मदत की थी. जिसके बाद फोर्ड के तत्कालीन चेयरमैन ने कहा था कि आपने यह कदम उठाकर फोर्ड पर बहुत बड़ा अहसान किया है.
जब किसान के बेटे ने लिया था फरारी से अपने अपमान का बदला
फारुशियो लेम्बोर्गिनी एक किसान परिवार से तालुकात रखते थे. साल 1958 में इन्होनें फरारी की टू सीटर गाड़ी खरीदी थी. हालांकि, इस गाड़ी में इनको कुछ कमीयां नजर आई जिसके बाद इन्होने फरारी को इसके बारे में बताने का प्रयास किया. लेकिन फरारी ने इनकी बेज्जती करते हुए कहा कि दिक्कत गाड़ी में नही उसके ड्राइवर में है और यह बाद फारुशियो लेम्बोर्गिनी को बुरी लग गई जिसके बाद इन्होने लेम्बोर्गिनी की शुरूआत कर दी. बता दें कि कई मामलों में इनकी कंपनी लेम्बोर्गिनी ने फरारी को पीछे छोड़ दिया है.
जब महाजारा जय सिंह ने लिया था रोल्स रॉयल से अपने अपमान का बदला
एक बार महाराजा जय सिंह लंदन में घुम रहे थे. इस दौरान उन्हें रोल्स रॉयल की कार दिखी और इन्होने उस कार को खरीदने का फैसला किया. हालांकि, इनके पहनावे को देखकर शोरूम से इन्हे निकाल दिया गया. जिसके बाद भारत आकर इन्होने 7 रोल्स रॉयल की कारें खरीदी और जब यह कारें भारत में डिलीवर हो गई, तब इन्होने इन कारों को नगरपालिका में कुड़ा उठाने के लिए लगा दिया. इस घटना के बाद से पुरे विश्व में रोल्स रॉयल का इमेज खराब होने लगा. जिसके बाद रोल्स रॉयल ने महाराजा जय सिंह से माफी मांगी और इनको 7 रोल्स रॉयल की कारें गिफ्ट की फिर जाकर महाराजा ने उन 7 रोल्स रॉयल को नगरपालिका से वापस मंगवाया था.
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